प्रारंभिक काल में महाविद्यालय महंत जी के निजी भवन नवरत्न में संचालित होता रहा. यधपि महाविद्यालय को महंत जी के द्वारा सात एकड़ जमीन का एक भूखंड दान स्वरूप प्राप्त था. प्रथम पड़ाव के रूप में महाविद्यालय को 25/09/1986 को कला तथा विज्ञानं संकाय में बिहार इन्टरमिडिएट शिक्षा परिषद पटना (निरसित)से प्रस्वीकृति प्राप्त हुई.
माननीय महंत जी के देहावसान के बाद महाविद्यालय भूमि कतिपय भूमाफियाओ की कुद्रष्टि से अछूता नही रहा, परन्तु महाविद्यालय शासी निकाय के अध्यक्ष डॉ सुरेश प्र० राय के अथक प्रयास कुशल नेतृत्व दूर दृष्टि तथा वितीय प्रबंधन के फलस्वरूप आज यह महाविद्यालय अपनी भूमि पर विशाल शैक्षणिक परिसर के रूप में अपने समृद्ध आधारभूत संरचना के साथ ख्याति प्राप्त कर चूका है.
महाविद्यालय अपने विकास के क्रम में इंटरमीडिएट कला एवं विज्ञान के साथ-साथ वाणिज्य संकाय में भी प्रस्वीकृति प्राप्त कर चूका है. इस महाविद्यालय को स्वतंत्रत रूप से माध्मिक कक्षा हेतु भी प्रस्वीकृति प्राप्त है तथा विभिन्य व्यवसायिक पाठ्यक्रम हेतु प्रस्वीकृति बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के विचारधीन है.
महाविद्यालय में औपचारिक शिक्षा के अतिरिक्त बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षा बोर्ड का भी अध्ययन केन्द बनाया गया है. शिक्षा के अतिरिक्त छात्रो के शिक्षणतर गतिविधियों यथा खेलकूद एवं सांस्कृतिक विकास इत्यादि पर महाविद्यालय में विशेष ध्यान दिया जाता है. एन० सी० सी० का जूनियर डिविजन क्रियाशील है तथा सीनियर डिविजन की स्थापना की जा रही है.
छात्र नामांकित
कोर्स
शिक्षक
गैर शैक्षणिक कर्मी
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